सुराजी गांव योजना के अंतर्गत नरवा, गरूवा, घुरवा, बारी कार्यक्रम शुरू किया गया है। इसका उद्देश्य ग्रामीण अर्थव्यवस्था को परंपरागत घटकों को संरक्षित तथा पुनर्जीवित करते हुए गांवों को राज्य की अर्थव्यवस्था के केंद्र में लाना है। साथ ही पर्यावरण में सुधार करत हुए किसानों व ग्रामीणों की व्यक्तिगत आय में वृद्धि करना है।
योजना के घटक :
नरवा कार्यक्रम
नरवा कार्यक्रम का प्रमुख उद्देश्य नरवा संरक्षण के माध्यम से कृषि एवं कृषि से संबंधित गतिविधियों को बढ़ावा देना है। साथ ही जल स्त्रोतों का संरक्षण एवं उनको पुनर्जीवित करना, ताकि सतही जल बह कर अन्यत्र न जाय, भूगर्भीय जल में वृद्धि हो ।
गरुवा कार्यक्रम
ग्रामीण परिदृश्य में पशुपालक उन्नत नस्ल के पशुओं का उचित प्रबंधन ठीक से नहीं कर पाते हैं साथ ही अनुत्पादक / अल्प उत्पादक व कृषि कार्य हेतु अनुपयुक्त पशुओं का रख-रखाव व पालन-पोषण भी नहीं कर पाते हैं। इसी तथ्य को दृष्टिगत रखते हुए प्रत्येक ग्राम पंचायत में गौठान का निर्माण कर पशु संवर्धन का कार्य किया जा रहा है।
घुरुवा कार्यक्रम
इस कार्यक्रम का उद्देश्य कृषि तथा जैविक अपशिष्टों से जैविक खाद का निर्माण कर किसानों को उसकी उपलब्धता सुनिश्चित करना है, ताकि रासायनिक खाद के उपयोग को प्रचलन से बाहर कर भूमि की उर्वरता बढ़ाई जा सके। कृषि उत्पादकता तथा कृषि आय में वृद्धि की जा सके।
बारी कार्यक्रम
पारंपरिक घरेलू बाड़ियों में सब्जियों तथा फल-फूल के उत्पादन को बढ़ावा देकर गांवों में पोषक आहारों की उपलब्धता बढ़ाना। घरेलू आवश्यकताओं की पूर्ति के साथ-साथ व्यावसायिक स्तर पर भी सब्जी तथा फल-फूल का उत्पादन करना, ताकि ग्रामीणों को अतिरिक्त आय हो सके। कराई जा रही है।