कोरोना महामारी से मृत व्यक्तियों के बेसहारा/अनाथ बच्चों को निःशुल्क स्कूली शिक्षा की उपलब्धता सुनिश्चित करना|
विस्तार :
इस योजना का विस्तार सम्पूर्ण राज्य में है| यह योजना शैक्षणिक सत्र 2021-22 से लागू है|
शैक्षणिक सुविधा :
ऐसे पात्र बच्चों को प्रदेश के शासकीय शालाओं में निःशुल्क शिक्षा उपलब्ध करायी जावेगी ।
ऐसे पात्र बच्चों को राज्य शासन द्वारा संचालित “स्वामी आत्मानंद अंग्रेजी माध्यम” स्कूल में प्रवेश में प्राथमिकता दी जायेगी।
जिनके माता-पिता दोनों की कोरोना से मृत्यु हो गयी है, उनके शिक्षा का सम्पूर्ण व्यय शासन वहन करेगा। साथ ही छात्रवृत्ति दी जावेगी।
जिनके कमाने वाला माता अथवा पिता की मृत्यु हो गयी है उन्हें निःशुल्क शिक्षा दिया जावेगा।
पात्र छात्रों को स्कूल शिक्षा के पश्चात् उच्च शिक्षा हेतु प्रोत्साहन दिया जायेगा।
प्रतिभावान छात्रों को व्यावसायिक पाठ्यक्रम में प्रवेश हेतु प्रशिक्षण/कोचिंग की सुविधा उपलब्ध कराया जावेगा।
छात्रवृत्ति:
1. कक्षा 1 से 8 तक – 500/- प्रतिमाह
2. कक्षा 9 से 12 तक – 1000/- प्रतिमाह
पात्रता की शर्ते:
छत्तीसगढ़ का निवासी हो ।
ऐसे बच्चे जिनके परिवार से कमाने वाले माता या पिता या दोनों की मृत्यु कोविङ-19 से हुई हो।
ऐसे बच्चे जो स्कूली शिक्षा प्राप्त करने हेतु आयु संबंधी पात्रता रखता हो।
जिनके घर में कमाने वाले वयस्क सदस्य न रहने के कारण भरण-पोषण की समस्या हो गई हो।
योजना का क्रियान्वयन:
इस योजना का क्रियान्वयन स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा किया जाएग
छात्र स्वयं या अभिभावक द्वारा जिला शिक्षा अधिकारी को सीधे आवेदन कर सकेगा|
प्राप्त आवेदन पत्रों का परीक्षण हेतु जिला शिक्षा अधिकारी की अध्यक्षता में समिति गठित होगी, जिसमें स्वास्थ्य विभाग एवं समाज कल्याण विभाग का एक-एक अधिकारी नामांकित होंगे।
समिति की अनुशंसा पर जिला कलेक्टर द्वारा स्वीकृति दी जावेगी ।
अभिलेखों के रख-रखाव हेतु पंजी का संधारण जिला शिक्षा अधिकारी द्वारा किया जावेगा ।
योजना की समीक्षा जिला कलेक्टर द्वारा समय-समय पर की जावेगी।
स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा इस योजना के क्रियान्वयन हेतु मार्गदर्शी निर्देश जारी कर सकेगी।