छत्तीसगढ़ भूमि

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छत्तीसगढ़ परिचय


छत्तीसगढ़ भारत में सबसे तेजी से विकसित राज्यों में से एक है| इस राज्य का निर्माण 1 नवंबर 2000 को हुआ था| यह राज्य पहले मध्य प्रदेश का भाग था| जब इस राज्य का गठन हुआ, तब इसे देश का 26 वां राज्य का दर्जा मिला| छत्तीसगढ़ देश का ऐसा राज्य है, जिसे महतारी (माँ) का दर्जा दिया गया है| राज्य में धान की भरपूर पैदावार के कारण इसे “धान का कटोरा” भी कहा जाता है| देश का यह राज्य ऐसे स्थानों से संबंध रखता है, जिन्हें प्रकृति ने अथाह खनिज भण्डार और वन संपदा के साथ नैसर्गिक सुंदरता भी प्रदान की है| लौह-अयस्क, कोयला, बाक्साइड चुना पत्थर और सीसे जैसी दुर्लभ अयस्कों के भण्डार भी प्रचुर मात्रा में उपलब्ध है|

छत्तीसगढ़ प्राचीन काल के दक्षिण कौशल का एक हिस्सा है| पौराणिक काल का कौशल प्रदेश कालान्तर में उत्तर कौसल और दक्षिण कौसल नाम से दो भागों में विभक्त था| इसी का दक्षिण कौसल वर्तमान में छत्तीसगढ़ के नाम से जाना जाता है| छत्तीसगढ़ वैदिक और पौराणिक काल से ही विभिन्न संस्कृतियों के विकास का केंद्र रहा है|
प्राचीन काल में दक्षिण कौशल के नाम से प्रसिद्ध इस प्रदेश में मौर्य, सातवाहनों, वाकाटकों, गुप्तों, राजर्षितुल्य कुल, सोमवंशियों, नलवंशियों, कलचुरियों का शासन था| छत्तीसगढ़ की पृष्ठभूमि में कलचुरी वंश की रतनपुर शाखा के अलग-अलग राजाओं व उनकी जमींदारी के 36 किलों का वर्णन भी मिलता है| यही कारण है की प्रदेश  का नाम छत्तीसगढ़(छत्तीस किला) पड़ा|