छत्तीसगढ़ भूमि

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छत्तीसगढ़ के प्रमुख आदिवासी विद्रोह

हल्बा विद्रोह (1774-79)

  • द्वारा- अजमेर सिंह
  • कारण – डोंगर में बस्तर के राजा से मुक्त एक स्वतंत्र राज्य की स्थापना करने|

परलकोट विद्रोह (1825)

  • द्वारा- गेंदसिंग
  • कारण- मराठा और ब्रिटिश सेनाओं के प्रवेश के विरोध में|

तारापुर विद्रोह (1842-54)

  • द्वारा- स्थानीय दीवानों
  • कारण- बाहरी लोगों के प्रवेश से स्थानीय संस्कृति को बचाने,  आंग्ल-मराठा शासकों द्वारा लगाए गये करों का विरोध करने के लिए|

माड़िया विद्रोह (1842-63)

  • द्वारा- माड़िया जनजाति
  • कारण- सरकारी नीतियों द्वार आदिवासी आस्थाओं को चोट पहुंचाने के कारण|
  • यह विद्रोह लगभग 20 वर्षों तक चला था|

कोई विद्रोह (1859)

  • द्वारा- गोंड़ जनजाति समूह
  • कारण- आदिवासियों के वनों का अधिकार की मांग व शोषण के विरुद्ध|

मुड़िया विद्रोह (1876)

  • द्वारा- मुड़िया आदिवासी समूह
  • कारण- गोपीनाथ कापरदास दीवान के आदिवासियों का बड़े पैमाने प् शोषण के विरुद्ध

भूमकाल विद्रोह (1910)

  • बस्तर का सबसे महत्वपूर्ण व व्यापक विद्रोह था
  • इस विद्रोह के अनेक कारण थे|
  • पुलिस के अत्याचार ने इस विद्रोह को संगठित करने में एक और भूमिका निभाई