छत्तीसगढ़ भूमि

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छत्तीसगढ़ जनजातियों में विवाह पद्धतियां

विवाह प्रकार समाज में प्रचलन
दूध लौटावा ममेरे-फुफेरे भाई-बहन में यह विवाह अधिमान्य होता है| जब लड़की का विवाह कहीं नहीं होता है, तब उसके पास प्रथानुसार बुआ या मामा के लड़के से विवाह का विकल्प होता है|
क्रय विवाह अधिकांश जनजातियों में वधु मूल्य देकर पत्नी प्राप्त करने की प्रथा है, जिसे “पारिंगधन” कहते हैं
सेवा विवाह जो लोग वधु ,मूल्य चुकाने में असमर्थ होते हैं, वे भावी ससुर के यहां एक निश्चित अवधि तक रहकर काम करते हैं
अपहरण विवाह यह विवाह बस्तर के गोंड़ों में प्रचलित है, जिसे “पायसोतुर” कहते हैं
विधवा विवाह जनजाति में विधवा विवाह को “अरउतो” कहते हैं
गन्धर्व विवाह जब स्त्री या पुरुष अपनी इच्छा से एक दूसरे का वरन कर लेते हैं, तो इस प्रकार के विवाह को गन्धर्व विवाह कहते हैं
हठ विवाह इस विवाह में स्त्री अपने पसंद के यहां आती है
विनियम  विवाह यदि दो परिवार बिना वधु मूल्य चुकाए आपस में लड़कियों का आदान-प्रदान कर लेते हैं, तो वह विवाह विनियम विवाह कहा जाता है
पठौनी विवाह जनजाति के इस विवाह पद्धति में लड़की, लड़के के घर बारात लेकर आती है
भगेली विवाह विवाह की यह पद्धति माड़िया जनजाति में होती है, जिसमे लड़की, प्रेमी के घर रात में आकर रहने लगती है
तीर विवाह बिंझवार जनजाति में उचित पति न मिलने पर कन्या का विवाह तीर के साथ कर दिया जाता है