छत्तीसगढ़ भूमि

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परजा जनजाति

  • यह गोंड की एक शाखा है|
  • यह गोत्रं आधारित समाज है| ममेरे-फुफेरे बहनों के मध्य विवाह प्राथमिकता देने वाली प्रथा है|
  • इनमे देवर विवाह तथा एसाली विवाह का प्रचलन है|
  • इस समूह में बच्चों के लिए एक विशेष स्थान होता है, जिसे “धांगाद बक्सर” कहते हैं| यह लड़के-लड़कियों अलग-अलग होता है|
  • इनके समूह में झाड़-फूंक के लिए गुनिया होते हैं|
  • ये झांगरदेव, डोंगरदेव, लक्ष्मी माता, दन्तेश्वरी देवी आदि की पूजा करते हैं|
  • इनकी प्रमुख बोली उड़िया है|
  • जवारा, दिवाली,चैत्र, बड़ाखाना अदि इनके प्रमुख त्यौहार हैं|