छत्तीसगढ़ भूमि

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गोंडवाना शैल समूह

  • नदियों के अवसादों के रूप युगों से जमे वनस्पति एवं जीवों के अवशेषों से इन चट्टानों का निर्माण हुआ है|
  • छत्तीसगढ़ प्रदेश के 17 प्रतिशत भू-भाग पर यह शैल समूह विस्तृत है|
  • इस शैल समूह में जीवाश्म पाया जाता है|
  • इन्हीं चट्टानों से कोयले की प्राप्ति होती है तथा लौह अयस्क भी पाया जाता है

गोंडवाना शैल समूह को तीन भागों में बांटा गया है

1.  अपर गोंडवाना
  • यह बघेलखण्ड के पठार में पाया जाता है
  • जनकपुर,मनेंद्रगढ़, प्रतापपुर, बैकुण्ठपुर, सूरजपुर
  • इसमें कोयले की  मोटी तह होती है|
2.  मध्य कोंडवाना 
  • यह महानदी घाटी में पाया जाता है
  • इसे परसोरा तथा टिकी नाम से भी जाना जाता है|
  •  इनमे जीवाश्म पाया जाता है|
3. लोअर गोंडवाना
  • इसे तलचर, बराकर एवं कामठी सीरीज में रखा गया है|
  • यह कोयला तथा बालू पत्थर से निर्मित है|
  • यह शैल समूह कोरिया जिले के मनेन्द्रगढ़ का दक्षिण भाग, सरगुजा जिले के दक्षिण भाग, कटघोरा, कोरबा, खरसिया, धरमजयगढ़, रायगढ़ जिले एवं मांड नदी घाट में विस्तृत है|
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